नहीं रहे काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी पीएम मोदी अमितशाह समेत कई नेताओं ने जताया दुःख

आज काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी का निधन हो गया। वाराणसी के ही निजी अस्पाताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कई महीनों से उनका इलाज चल रहा था। काशी नरेश और काशी के डोम राजा का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा हरिशचन्द्र ने स्वयं को कालू डोम को बेच दिया था। उसके बाद से वाराणसी मे डोम समुदाय का प्रमुख डोम राजा कहलाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरी बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के प्रस्तावकों मे डोम राजा जगदीश चौधरी भी शामिल थे।

जगदीश चौधरी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने दुःख प्रगट किया। प्रधान मंत्री मोदी ने ट्वीट कर लिखा वाराणसी के डोम राजा जगदीश चौधरी जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। वे काशी की संस्कृति में रचे-बसे थे और वहां की सनातन परंपरा के संवाहक रहे। उन्होंने जीवनपर्यंत सामाजिक समरसता के लिए काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को इस पीड़ा को सहने की शक्ति दे।

अमित शाह ने काशी के डोम राजा जगदीश चौधरी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि “काशी के डोम राजा का पद भारतीय संस्कृति में व्याप्त विविधता, व्यापकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। बाबा विश्वनाथ के ऐसे सच्चे उपासक डोम राजा श्री जगदीश चौधरी जी का स्वर्गवास अत्यंत दुःखद है। उनका निधन सनातन परंपरा और भारतीय समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है”।

अमित शाह ने कहा कि “डोम राजा सनातन संस्कृति की सबसे अभिन्न कड़ी हैं जो अपनी अग्नि से लोगों को मोक्ष का द्वार दिखाते हैं। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि डोम राजा श्री जगदीश चौधरी जी को अपने श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति शांति शांति”।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर लिखा सामाजिक समरसता की भावना के प्रतीक पुरुष, काशीवासी डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी का निधन अत्यंत दुःखद है। श्री जगदीश चौधरी जी का कैलाशगमन सम्पूर्ण भारतीय समाज की एक बड़ी क्षति है। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि आपको अपने परमधाम में स्थान प्रदान करें। उन्होंने आगे कहा बाबा विश्वनाथ के आराधक डोमराजा श्री जगदीश चौधरी जी के निवास पर पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की अगुवाई में धर्माचार्यों द्वारा सहभोज किया जाना, भेदभाव रहित भारतीय समाज की भावना का अप्रतिम उदाहरण था। दोनों हुतात्माओं की पुण्य स्मृति को प्रणाम!